[05/11, 4:17 PM] rakesh hdwaar 2nd: *#संस्कार*
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बेटा तुम्हारा इन्टरव्यू लैटर आया है। मां ने लिफाफा हाथ में देते हुए कहा।
यह मेरा सातवां इन्टरव्यू था। मैं जल्दी से तैयार होकर दिए गए नियत समय 9:00 बजे पहुंच गया। एक घर में ही बनाए गए ऑफिस का गेट खुला ही पड़ा था मैंने बन्द किया भीतर गया।
सामने बने कमरे में जाने से पहले ही मुझे माँ की कही बात याद आ गई बेटा भीतर आने से पहले पांव झाड़ लिया करो।फुट मैट थोड़ा आगे खिसका हुआ था मैंने सही जगह पर रखा पांव पोंछे और भीतर गया।
एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी अपना इंटरव्यू लेटर उसे दिखाया तो उसने सामने सोफे पर बैठकर इंतजार करने के लिए कहा। मैं सोफे पर बैठ गया, उसके तीनों कुशन अस्त व्यस्त पड़े थे आदत के अनुसार उन्हें ठीक किया, कमरे को सुंदर दिखाने के लिए खिड़की में कुछ गमलों में छोटे छोटे पौधे लगे हुए थे उन्हें देखने लगा एक गमला कुछ टेढ़ा रखा था, जो गिर भी सकता था माँ की व्यवस्थित रहने की आदत मुझे यहां भी आ याद आ गई, धीरे से उठा उस गमले को ठीक किया।
तभी रिसेप्शनिस्ट ने सीढ़ियों से ऊपर जाने का इशारा किया और कहा तीन नंबर कमरे में आपका इंटरव्यू है।
मैं सीढ़ियां चढ़ने लगा देखा दिन में भी दोनों लाइट जल रही है ऊपर चढ़कर मैंने दोनों लाइट को बंद कर दिया तीन नंबर कमरे में गया ।
वहां दो लोग बैठे थे उन्होंने मुझे सामने कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और पूछा तो आप कब ज्वाइन करेंगे मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जी मैं कुछ समझा नहीं इंटरव्यू तो आप ने लिया ही नहीं।
इसमें समझने की क्या बात है हम पूछ रहे हैं कि आप कब ज्वाइन करेंगे ? वह तो आप जब कहेंगे मैं ज्वाइन कर लूंगा लेकिन आपने मेरा इंटरव्यू कब लिया वे दोनों सज्जन हंसने लगे।
उन्होंने बताया जब से तुम इस भवन में आए हो तब से तुम्हारा इंटरव्यू चल रहा है, यदि तुम दरवाजा बंद नहीं करते तो तुम्हारे 20 नंबर कम हो जाते हैं यदि तुम फुटमेट ठीक नहीं रखते और बिना पांव पौंछे आ जाते तो फिर 20 नंबर कम हो जाते, इसी तरह जब तुमने सोफे पर बैठकर उस पर रखे कुशन को व्यवस्थित किया उसके भी 20 नम्बर थे और गमले को जो तुमने ठीक किया वह भी तुम्हारे इंटरव्यू का हिस्सा था अंतिम प्रश्न के रूप में सीढ़ियों की दोनों लाइट जलाकर छोड़ी गई थी और तुमने बंद कर दी तब निश्चय हो गया कि तुम हर काम को व्यवस्थित तरीके से करते हो और इस जॉब के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हो, बाहर रिसेप्शनिस्ट से अपना नियुक्ति पत्र ले लो और कल से काम पर लग जाओ।
मुझे रह रह कर माँऔर बाबूजी की यह छोटी-छोटी सीखें जो उस समय बहुत बुरी लगती थी याद आ रही थी।
मैं जल्दी से घर गया मां के और बाऊजी के पांव छुए और अपने इस अनूठे इंटरव्यू का पूरा विवरण सुनाया.
*इसीलिए कहते हैं कि व्यक्ति की प्रथम पाठशाला घर और प्रथम गुरु माता पिता ही है।*
[09/11, 6:35 PM] rakesh hdwaar 2nd: एक *चूहा* एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था।
एक दिन *चूहे* ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है।
उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक *चूहेदानी* थी।
ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर *कबूतर* को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है।
कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है?
निराश चूहा ये बात *मुर्गे* को बताने गया।
मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… जा भाई.. ये मेरी समस्या नहीं है।
हताश चूहे ने बाड़े में जा कर *बकरे* को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।
उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिस में एक ज़हरीला *साँप* फँस गया था।
अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया।
तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे *कबूतर* का सूप पिलाने की सलाह दी।
कबूतर अब पतीले में उबल रहा था।
खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी *मुर्गे* को काटा गया।
कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी, तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो *बकरे* को काटा गया।
*चूहा* अब दूर जा चुका था, बहुत दूर ……….।
_*अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये।*_
*_समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है।_*
*_अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये। स्वयं तक सीमित मत रहिये। सामाजिक बनिये.."और *हंसी बनाने से पहले सोचिए जरुर*
💐💐सोच धरम की 🍁
[09/11, 7:18 PM] rakesh hdwaar 2nd: छोटी लड़की ने गुल्लक से सब सिक्के निकाले और उनको बटोर कर जेब में रख लिया ...!
निकल पड़ी घर से – पास ही केमिस्ट की दुकान थी ....
उसके जीने धीरे धीरे चढ़ गयी....!!
वो काउंटर के सामने खड़े होकर बोल रही थी पर छोटी सी लड़की किसी को नज़र नहीं आ रही थी ...
ना ही उसकी आवाज़ पर कोई गौर कर रहा था, सब व्यस्त थे...!!
दुकान मालिक का कोई दोस्त बाहर देश से आया था
वो भी उससे बात करने में व्यस्त था...!!
तभी उसने जेब से एक सिक्का निकाल कर काउंटर पर फेका सिक्के की आवाज़ से सबका ध्यान उसकी ओर गया....
उसकी तरकीब काम आ गयी....!
दुकानदार उसकी ओर आया...
और उससे प्यार से पूछा क्या चाहिए बेटा... ?
उसने जेब से सब सिक्के निकाल कर अपनी छोटी सी हथेली पर रखे... और बोली मुझे *“चमत्कार”* चाहिए ....!!!
दुकानदार समझ नहीं पाया उसने फिर से पूछा, *वो फिर से बोली मुझे “चमत्कार” चाहिए...!!*
दुकानदार हैरान होकर बोला – बेटा यहाँ चमत्कार नहीं मिलता....!
वो फिर बोली अगर दवाई मिलती है तो चमत्कार भी आपके यहाँ ही मिलेगा..!
दुकानदार बोला – बेटा आप से यह किसने कहा... ?
अब उसने विस्तार से बताना शुरु किया –
अपनी तोतली जबान से – मेरे भैया के सर में टुमर (ट्यूमर) हो गया है, पापा ने मम्मी को बताया है की डॉक्टर 4 लाख रुपये बता रहे थे – अगर समय पर इलाज़ न हुआ तो कोई चमत्कार ही इसे बचा सकता है ....
और कोई संभावना नहीं है...
वो रोते हुए माँ से कह रहे थे...
अपने पास कुछ बेचने को भी नहीं है...
न कोई जमीन जायदाद है न ही गहने – सब इलाज़ में पहले ही खर्च हो गए है....!
दवा के पैसे बड़ी मुश्किल से जुटा पा रहा हूँ...!!
वो मालिक का दोस्त उसके पास आकर बैठ गया और प्यार से बोला अच्छा.... कितने पैसे लाई हो तुम चमत्कार खरीदने को...?
उसने अपनी मुट्टी से सब रुपये उसके हाथो में रख दिए....!!
उसने वो रुपये गिने 21 रुपये 50 पैसे थे...!!!
*वो व्यक्ति हँसा और लड़की से बोला तुमने चमत्कार खरीद लिया,*
चलो मुझे अपने भाई के पास ले चलो...!!!
वो व्यक्ति जो उस केमिस्ट का दोस्त था अपनी छुट्टी बिताने भारत आया था... वह *न्यूयार्क का एक प्रसिद्द न्यूरो सर्जन था*...उसने उस बच्चे का इलाज 21 रुपये 50 पैसे में किया और वो बच्चा सही हो गया...!!!
प्रभु ने लडकी को चमत्कार बेच दिया – वो बच्ची बड़ी श्रद्धा से उसको खरीदने चली थी वो उसको मिल भी गयी....!
*नीयत साफ़ और मक़सद सही हो तो, किसी न किसी रूप में कृष्ण आपकी मदद करते ही है.....!!*
_यही आस्था का चमत्कार है...!!!_
*अगर इस कहानी से आपकी पलकें नम हुई है तो किसी एक जरूरतमंद की मदद जरूर करें।*
🙏🏻💐 *जय श्री कृष्ण* 💐🙏🏻